भारत निर्वाचन आयोग ने प्रदेश में एन चुनाव के मौके पर
विद्वेषपूर्ण अथवा भ्रामक राजनैतिक विज्ञापनों के प्रकाशन एवं प्रसारण पर रोक
लगाने के उद्देश्य से समाचार पत्रों अथवा प्रिंट मीडिया में भी मतदान के एक दिन
पूर्व और मतदान के दिन प्रकाशित कराये जाने वाले राजनैतिक विज्ञापनों का पूर्व
प्रमाणन राज्य
स्तरीय अथवा जिला स्तरीय मीडिया प्रमाणन समिति से कराना अनिवार्य कर दिया है। इस
बारे में निर्वाचन आयोग द्वारा निर्देश जारी किये गये हैं।
निर्वाचन आयोग द्वारा जारी निर्देश के मुताबिक कोई भी
राजनैतिक दल या उम्मीदवार अथवा अन्य कोई संगठन या व्यक्ति प्रदेश में विधानसभा
चुनाव के लिए 17 नवंबर को होने वाले मतदान के दिन तथा उसके एक दिन पहले वाले
दिन 16 नवंबर को कोई भी विज्ञापन मीडिया
प्रमाणन समिति से बिना पूर्व प्रमाणन कराये प्रकाशित नहीं करा सकेगा। अर्थात ऐसे
विज्ञापनों का समाचार पत्रों अथवा प्रिंट मीडिया में प्रकाशन कराने के पूर्व राज्य
अथवा जिला स्तरीय मीडिया प्रमाणन समिति से प्रमाणन कराना अनिर्वाय होगा।
निर्वाचन आयोग ने यह निर्देश पूर्व में सामने आये उन मामलों
के संदर्भ में जारी किये हैं, जहां अंतिम चरण में भ्रामक, भड़काउ या आक्रामक स्वरूप के विज्ञापन प्रकाशित कराकर चुनावी
प्रक्रिया को दूषित करने के प्रयास किये गये थे। आयोग के मुताबिक चुनाव के अंतिम
दौर में ऐसे भ्रमित करने वाले विज्ञापनों के प्रकाशन के बाद इनसे प्रभावित दल अथवा
प्रत्याशी के पास किसी भी प्रकार की सफाई अथवा खण्डन का अवसर नहीं होता। आयोग के अनुसार ऐसी स्थिति में
स्वतंत्र और निष्पक्ष निर्वाचन के लिए विज्ञापनों का पूर्व प्रमाणन जरूरी है।
आयोग ने
राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी एवं सभी जिलों के जिला निर्वाचन अधिकारियों को
इस निर्देश से राजनैतिक दलों के पदाधिकारियों, उम्मीदवारों तथा सभी समाचार पत्रों एवं प्रिंट मीडिया
संस्थानों को अवगत कराने कहा है। निर्वाचन आयोग ने राज्य तथा जिला स्तरीय मीडिया
प्रमाणन समितियों को विज्ञापनों के प्रमाणन हेतु प्राप्त आवेदनों का शीघ्र निराकरण
करने के निर्देश भी दिये हैं।