आई विटनेस न्यूज 24,मंगलवार 27 मई,जिले के बजाग विकासखंड के गांवो में सक्रिय खनिज माफियाओं और जमीन के दलालों की गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष इंजी. कमलेश टेकाम ने प्रेस वार्ता कर पोल खोली। उन्होंने बैगा आदिवासियों की जमीनें हड़पने की साजिश का खुलासा करते हुए, कार्यवाही की मांग की है। पार्टी के प्रतिनिधि मंडल ने जिला कलेक्टर को पत्र देकर पूरे मामले में हुई गड़बड़ियों और साजिश की जानकारी और संबंधित दस्तावेज देते हुए कार्यवाही की मांग की है। जिला कलेक्टर ने प्रशासनिक स्तर पर अनियमितताओं पर कार्यवाही किए जाने का आश्वासन पार्टी नेताओं दिया है। प्रदेश अध्यक्ष ने इस पूरी साजिश की विस्तृत जानकारी पत्रकारों को देते हुए खनिज माफियाओं की पोल खोलकर रख दी।
पार्टी द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार
डिंडोरी जिले में कटनी जिले के चार व्यक्ति जिन्हें आदिवासी बताकर बैगा आदिवासियों की जमीनें खरीदी गई है। उनके द्वारा 2009 से अभी तक लगभग 781.24 एकड़ जमीनें खरीदी गई है। इन चारों व्यक्तियों के नाम गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वालों की सूची में है जिसके चलते इनको सार्वजनिक वितरण प्रणाली से प्रदेश शासन द्वारा खाद्यान्न दिया जाता है। इनके परिवारों को कोरोना काल में "प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्य योजना" के तहत मुफ्त अनाज भी शासन द्वारा दिया गया। इनमें से एक का परिवार मनरेगा में मजदूरी कर रहा है दो को प्रधानमंत्री आवास योजना से पक्का आवास मिला है। इनकी इस आर्थिक स्थिति को देखते हुए इनका करोड़ो रुपए की जमीनें खरीदना संदिग्ध प्रतीत होता है। इनके अन्य विवरण इस प्रकार है:
रघुराज सिंह पिता श्यामलाल, निवासी सुतली, ने डिंडोरी जिले में लगभग 411.50 एकड़ जमीनें 2015 से अब तक खरीदी है। इनके मूल ग्राम में खसरा क्रमांक 290/3, 290/6, 342/1 और 174/3 में 3.33 हे. भूमि कुल 8.22 एकड़ जमीन चार लोगों के हिस्से में है रघुराज, रतन, उमा और रेणुका पिता श्यामलाल। इस तरह यह जमीन जो इनकी पैतृक भूमि है उसमें से रघुराज सिंह के हिस्से में 2. 05 एकड़ जमीन है। यह जमीन 27/7/2015 से पैक्स पिपरियाकला द्वारा कृषि उपज की दृष्टिबंधक है। इसके अलावा रघुराज सिंह को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत वर्ष 8/4/2022 में पक्का मकान बनाने के लिए 1.20 लाख रुपए की राशि स्वीकृत की गई है। रघुराज सिंह का परिवार गरीबी रेखा के नीचे की सूची में दर्ज था और अपने राशन कार्ड द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली अंतर्गत राशन प्राप्त करता रहा है। इनके द्वारा उचित मूल्य दुकान मोहनी से शासकीय योजना का राशन लिया जाता रहा है। 17 जनवरी 2022 को इन्होंने जनवरी और फरवरी माह का राशन 30 गेहूं, 20 किलो चावल, 2 लीटर केरोसिन, 2 किलो नमक के साथ ही साथ ही साथ प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्य योजना अंतर्गत 30 किलो गेहूं और 20 किलो चावल बायोमेट्रिक लगा कर प्राप्त किया, ये इसी समय काल में डिंडोरी जिले में 411.50 एकड़ जमीन खरीदते है यह जांच का विषय है।
दूसरे व्यक्ति है राकेश पिता मोलई, निवासी ग्राम बरमानी, बड़वारा जिला कटनी, ने पिपरिया माल और बघरेली में 85.63 एकड़ जमीनें खरीदी है। इनको 4/4/ 2018 में पक्का मकान प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 1.20 लाख रुपए की स्वीकृति प्राप्त हुई। मूल गांव बरमानी में इनकी मई 3.65 एकड़ जमीन पुस्तैनी है। उक्त व्यक्ति का परिवार मनरेगा अंतर्गत अकुशल मजदूर है। इनके जॉब कार्ड के अनुसार राकेश सिंह ने 27/5/2023 तक मनरेगा में मजदूरी की, पुत्री 25/12/2024 तक कार्य करती रही पत्नी सुमित्रा बाई का नाम 21/04/2025 तक मस्टर में दर्ज है। राकेश सिंह को 13/6/2023 को 7 दिनों का मजदूरी भुगतान 1435 रुपए उनके सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, सलैया सिहोरा के खाते में किया गया। पुत्री को 817 रु. का मजदूरी भुगतान और 2/6/2023 को इसी खाते में पत्नी को 1200 रु. मजदूरी भुगतान किया गया।
इनका बीपीएल राशन कार्ड है जिसके आधार पर इन्हें सार्वजनिक वितरण प्रणाली अंतर्गत राशन प्राप्त होता है। इनका परिवार प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्य योजना का पात्र लाभार्थी भी है। परिवार के 6 सदस्यों के लिए अप्रैल 2025 का राशन 12 अप्रैल को परिवार ने 12 किलो गेहूं, 18 चावल और 1 किलो नमक प्राप्त किया। मध्यप्रदेश शासन गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों को खाद्यान्न का वितरण करती है जो इस परिवार को मिल रहा है।
नत्थू पिता राममिलन, निवासी गोइंद्रा, तहसील विजयराघवगढ़, जिला कटनी इस क्रम में तीसरे व्यक्ति है, जिन्होंने डिंडोरी जिले के पिपरिया माल और हर्रा टोला रैयत में 70.66 हे. यानी कुल 179.53 एकड़ जमीनें खरीदी है। इनकी इनके मूल ग्राम गोइंद्रा में 6 खसरों में अविभाजित भूमि दर्ज है, इनके हिस्से में कुल 0.820 हे. अर्थात कुल 2.02 एक्स जमीन है।
इनके परिवार के 6 सदस्य राशन कार्ड में दर्ज है जिन्हें उचित मूल्य पर शासन की योजनांतर्गत राशन प्रदाय किया जा रहा है जो कि प्रदेश सरकार गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों को ही देती है। 22 अप्रैल 2024 को इनके परिवार ने 12 किलो गेहूं, 18 किलो चावल और 1 किलो नमक का उठाव किया है। इनका परिवार भी प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्य योजना का पात्र लाभार्थी है जिसे सरकार की योजना का लाभ उसी समय में दिया गया जब इनके नाम पर जिले में सैकड़ों एकड़ जमीन खरीदी जा रही थी।
कटनी के कथित जमीन खरीदने वालों में चौथा नाम प्रहलाद कोल पिता पद्दू , निवासी वार्ड क्रमांक 30, जोन 2, नगरनिगम कटनी है। इनके नाम पर डिंडोरी जिले के पिपरिया माल और हर्रा टोला रैयत में 44.30 हे. यानि 109. 42 एकड़ जमीन खरीदी गई है। इनके बीपीएल राशन कार्ड में तीन सदस्य दर्ज है जिनके द्वारा ओम मां कृष वाहनी महिला उपभोक्ता सहकारी भंडार सी एल पी पाठक वार्ड से 12 मई 2025 को 6 किलो गेहूं, 9 किलो चावल और 1 किलो नमक का उठाव किया। परिवार प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्य योजना का पात्र लाभार्थी है जिन्हें मुफ्त खाद्यान्न शासन द्वारा दिया जाता है।
1) इन लोगों की आर्थिक स्थिति की जांच होनी चाहिए और स्पष्ट किया जाना चाहिए की क्या ये लोग करोड़ो रुपए की सैकड़ों एकड़ जमीन खरीदने में सक्षम है।
2) जिले के बैगा आदिवासीयो कि जमीनें खरीदने के लिए उन्होंने रजिस्ट्रार कार्यालय में अपनी जाति से संबंधित क्या दस्तावेज दिए इसकी जांच होनी चाहिए। रघुराज सिंह के पिता श्यामलाल, राकेश के पिता मोलाई, नत्थू की पत्नी फूलबाई के जॉब कार्ड में इन्हें अनुसूचित जाति का दर्शाया गया है इस आधार पर तो ये बैगा और आदिवासियों की जमीनें खरीद ही नहीं सकते। पंजीयक कार्यालय में इनके जाति प्रमाणपत्र और इनके मूल गांव से इनकी जाति के संबंध में जांच की जावे। नत्थू कोल जाति के है किंतु डिंडोरी के राजस्व रिकॉर्ड में इनकी जाति गोंड दर्ज की गई है जो संदिग्ध है। इसकी जांच कर दोषियों पर कार्यवाही की जाए।
3) इनकी आय, बैंक खातों, जमीनें खरीदने के लिए इन्होंने कैसे करोड़ो रुपया जुटाया! इनकी आय वैध है या अवैध इसकी जांच की जावे। इनका डिंडोरी जिले में जमीनें खरीदने का प्रयोजन क्या था, इन्होंने ये जमीन सिर्फ बॉक्साइट के खदान ठेकेदार को लीज पर देने की सुनियोजित योजना के तहत ही करोड़ो की जमीनें खरीदी या कोई और भी उद्देश्य था जो उन्होंने अपने मूल जिले से बाहर आकर जमीनें खरीदी?
4) इस पूरे मामले में स्थानीय जमीनों के दलालों की भूमिका क्या है। उनके द्वारा बैगा आदिवासियों की जमीन बिकवाने में फर्जीवाड़ा किए जाने की शिकायतें जो ग्रामीणों द्वारा की जा रही है उनकी जांच कर इनके खिलाफ आदिवासी अत्याचार अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज कर कानूनी कार्यवाही की जावे। इन चारों आरोपियों की संपति, बैंक खातों की जांच कराई जाए।
इस पूरे मामले की प्रदेश और देश में चर्चा हो रही है तब भी स्थानीय सांसद, विधायक, भाजपा और कांग्रेस संगठन के पदाधिकारी जिले के ग्रामीणों के शोषण के मामले में चुप क्यों है? प्रशासन द्वारा एक माह से भी अधिक से मीडिया में मामला उठने और ग्रामीणों की शिकायतो पर अब तक कार्यवाही क्यों नहीं की और इन खदानों के ठेकेदारों का सत्ताधारी पार्टी से क्या संबंध है उजागर किया होना चाहिए।
इस पूरे मुद्दे पर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का मानना है कि जिस भूमि से कीमती खनिज निकाला जाना है उसमें स्थानीय ग्रामीण जिनकी ये जमीनें पहले से थी उनको भी इस आय का हिस्सा मिलना चाहिए। छलपूर्वक जिनकी जमीनें फर्जी तरीके से बिकवाई गई है उनकी जमीनों की रजिस्ट्री रद्द की जाए। जमीन बेचकर जिनका पैसा नहीं दिया गया है उनकी राशि उन्हें मिलना चाहिए। बॉक्साइट खदान के लिए जो जमीन खरीदी गई है उनके बाजार भाव का आंकलन किया जाए वर्तमान स्थिति में कीमत तय कर प्रशासन उसकी शेष राशि जमीन मालिकों को दिलवाने में मध्यस्थता कर न्याय करे। उक्त मांगों और बैगा आदिवासी तथा अन्य सभी भूमि मालिकों को उनका हक और अधिकार दिलाने के लिए पार्टी व्यापक स्तर पर आंदोलन करेगी और इसके लिए पार्टी शासन, प्रशासन से हर संभव संघर्ष करेगी और बहुत जल्दी पार्टी मामले में निष्पक्ष कार्यवाही के हाई कोर्ट में याचिका प्रस्तुत करेगी। गोगपा केवप्रतिनिधि मंडल ने उक्त गंभीर आरोपों के संबंध में दस्तावेज भी जिला कलेक्टर को सौंपे है जिससे उनके द्वारा लगाए जा रहे आरोपों की जांच आसानी से हो पाए।
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी द्वारा किए गए खुलासों की जिले भर में चर्चा है। पार्टी द्वारा बहुत ही गंभीर और भीतर की जानकारी और पूंजीपति खनिज माफिया की साजिश
उजागर किए जाने के बाद माना जा रहा हैं कि मामले में लीपा पोती करना अब मुश्किल है वही गोंडवाना गणतंत्र पार्टी नेताओं द्वारा इन मुद्दों को लेकर हाई कोर्ट में याचिका लगाए जाने की भी बात कही गई है।