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कागज़ों में बहा पानी, खेत है सूखे, किसान तरस रहे एक बूंद पानी को, बिलगढा बांध नहर निर्माण पर आरोपों की बौछार


 आई विटनेस न्यूज 24, मंगलवार 2 दिसम्बर,बिलगढा बांध की नहरें बदहाली की शिकार, शुरुआत से आज तक पड़रिया खुर्द के किसान एक बूंद पानी को तरस रहे हैं। करोड़ों रुपये की लागत से बनी यह महत्वाकांक्षी सिंचाई परियोजना घटिया निर्माण, भ्रष्टाचार और विभागीय लापरवाही के कारण किसानों के लिए अब तक सिर्फ कागजों पर ही सीमित है। नहरों की जर्जर हालत, योजना पर सवालबिलगढा बांध से निकली नहरों में जगह-जगह दरारें, धंसान, टूटी-फूटी दीवारें और अवरुद्ध प्रवाह साफ दिखाई देता है, जिससे स्पष्ट है कि निर्माण के समय गुणवत्ता मानकों की अनदेखी की गई। पहले ही बरसात में कई हिस्सों की दीवारें टूट गईं और नहरें फूटने से पानी बह गया, जिसका सीधा असर फसलों पर पड़ा। शासन ने क्षेत्र की हजारों हेक्टेयर जमीन सिंचित करने के उद्देश्य से इस महत्वाकांक्षी योजना पर करोड़ों रुपये खर्च किए, लेकिन नहरों की खस्ताहाल स्थिति ने पूरी परियोजना पर सवालिया निशान लगा दिए हैं। निर्माण के कुछ समय बाद ही संरचनाएं कमजोर पड़ने से यह साफ हो गया कि मौके पर तकनीकी निगरानी और गुणवत्ता परीक्षण के साथ गंभीर खिलवाड़ हुआ। किसानों को अब तक नहीं मिला पानीपड़रिया खुर्द के किसानों के खेत आज भी नहरों के पानी के बजाय केवल बारिश और निजी साधनों पर निर्भर हैं। योजना शुरू होने के बाद से अब तक किसानों को सिंचाई के लिए नहरों से एक बूंद पानी तक उपलब्ध नहीं हो पाया, जबकि कागजों में बड़े कमांड एरिया का दावा किया गया था। रबी सीजन में गेहूं की जुताई लगभग पूरी हो चुकी है और कई किसानों ने बुवाई भी शुरू कर दी है, लेकिन नहरों की मरम्मत और सफाई का काम न के बराबर होने से किसान फिर सूखे की मार झेलने की आशंका जता रहे हैं। समय पर पानी नहीं मिलने पर लागत बढ़ने के साथ-साथ उत्पादन घटने का डर किसानों को लगातार परेशान कर रहा है। भ्रष्टाचार के आरोप और उदासीनताग्रामीणों और किसानों का मानना है कि नहर निर्माण में घटिया सामग्री, मानक से कम मोटाई, कम गहराई और जल्दबाजी में किए गए कार्यों के कारण यह स्थिति बनी। आरोप यह भी हैं कि विभागीय अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से परियोजना में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं की गईं, जिसके चलते नहरें कुछ ही समय में जर्जर हो गईं। शिकायतें होने के बावजूद समय रहते न तो संपूर्ण तकनीकी जांच कराई गई और न ही दोषियों पर कठोर कार्रवाई की तस्वीर साफ हो सकी, जिससे ग्रामीणों के बीच नाराजगी और अविश्वास बढ़ा है। किसानों का कहना है कि यदि शुरू से ही गुणवत्ता पर ध्यान दिया जाता, तो आज सैकड़ों एकड़ जमीन सिंचित होकर किसानों की आर्थिक हालत बेहतर हो सकती थी। करोड़ों की योजना पर संकट के बादलबिलगढा बांध से जुड़ी सिंचाई परियोजना का उद्देश्य क्षेत्र की कृषि व्यवस्था को मजबूती देना था, लेकिन नहरों के अधूरे, टूटी-फूटी और अवरुद्ध रहने से सरकारी धन व्यर्थ जाता दिखाई दे रहा है। परियोजना का लाभ खेतों तक पहुंचने से पहले ही संरचनात्मक कमजोरियों और भ्रष्टाचार ने इसे बर्बादी के कगार पर ला खड़ा किया। यदि शासन और संबंधित विभाग ने समय रहते गंभीरता नहीं दिखाई, तो इस वर्ष भी किसान बिना नहर के पानी के ही फसल बचाने को मजबूर रहेंगे और योजना फिर से बेकार साबित होगी। लगातार होते नुकसान और बढ़ते कर्ज के बीच किसानों के सामने बड़ा सवाल यह खड़ा है कि आखिर कब उनकी जमीन तक इस परियोजना का वादा किया गया पानी पहुंचेगा।


Ashish Joshi

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ASHISH JOSHI | आई विटनेस न्यूज़ 24 के संचालक के रूप में, मेरी प्रतिबद्धता हमारे दर्शकों को सटीक, प्रभावशाली और समय पर समाचार प्रदान करने की है। मैं पत्रकारिता की गरिमा को बनाए रखते हुए हर खबर को सच के साथ प्रस्तुत करने का प्रयास करता हूँ। आई विटनेस न्यूज़ 24 में, हमारा लक्ष्य है कि हम समाज को सशक्त और जोड़ने वाली आवाज़ बनें।