आई विटनेस न्यूज 24, मंगलवार 16 दिसम्बर, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शाहपुरा में मुख्य खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ. सत्येंद्र परस्ते पर भ्रष्टाचार, अनियमितताओं और पद के दुरुपयोग के गंभीर आरोप सामने आए हैं। लंबे समय से स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े कई कर्मचारी,मेडिकल अधिकारी और क्षेत्रीय नागरिकों ने शासन को शिकायत करते हुए मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।
प्राप्त शिकायतों के अनुसार, डॉ. परस्ते ने पिछले तीन वर्षों में केवल प्रशासनिक अधिकारी के रूप में सेवाएं दी हैं, इसके बावजूद उन्होंने अपने नाम पर आयुष्मान प्रोत्साहन राशि का भुगतान लिया है। आरोप है कि पिछले तीन वर्षों से उनके नाम का ड्यूटी रोस्टर में उल्लेख ही नहीं है, फिर भी उन्हें चिकित्सक और मेडिकल स्पेशलिस्ट के रूप में प्रोत्साहन राशि दी गई। जबकि नियमानुसार मेडिकल स्पेशलिस्ट के रूप में प्रोत्साहन राशि तभी मान्य है जब संबंधित अधिकारी के पास पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल डिग्री हो।
इसी प्रकार, कई कर्मचारियों को लंबे समय तक मातृत्व अवकाश या अनुपस्थिति के बावजूद प्रोत्साहन राशि मिलना भी सवालों के घेरे में है। आरोप है कि बीएमओ से विशेष संबंध होने के कारण आशुतोष राजक को भी पिछले 3–4 वर्षों से वास्तविक सेवाएँ न देने के बावजूद भुगतान किया गया। शिकायतकर्ताओं का कहना है कि यह पूरा मामला “बंदरबांट” जैसा है, जिससे शासन को लाखों रुपये की हानि हुई है।
डॉ. परस्ते पर इससे पहले भी कई विभागीय जांचें लंबित होने की बात सामने आई है। शिकायतकर्ताओं का कहना है कि पिछले 8-9 वर्षों से उन पर भ्रष्टाचार संबंधी आरोप लगते रहे, किंतु उनके “रसूख और पदेन शक्तियों” के कारण कार्रवाई नहीं हो सकी। बताया गया कि दो पूर्व कलेक्टरों द्वारा गठित जांच समितियों जिसमें डी ए चओ, ममता दीवान डॉक्टर बृजेश ठाकुर और डॉक्टर जय श्री मरावी शामिल थे ने जांच प्रतिवेदन तैयार कर मुख्य चिकित्सा एवं स्वस्थ अधिकारी को सौप था परंतु वे रिपोर्ट आगे शासन तक नहीं भेजी गई और ना ही कलेक्टर डिंडोरी को प्रेषित की गई। इसके अतिरिक्त अस्पताल की पुताई मरम्मत गैस के भराव एवं क्रय, स्टेशनरी, अग्निशमन, मरीज को भोजन एवं नाश्ता आदि से संबंधित मदों में फर्जी बिलों के माध्यम से राशि निकालने की शिकायतें भी दर्ज है। आयुष्मान प्रोत्साहन राशि को लेकर बीते कुछ वर्षों में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं,का आरोप भी गंभीर माना जा रहा है। कुछ वर्ष पूर्व सोशल मीडिया पर खून बेचने का प्रकरण भी चर्चा में आया था जिसकी जांच अभी तक लंबित बताई जा रही है। साथी अस्पताल की एक महिला कर्मचारी द्वारा उनके खिलाफ छेड़छाड़ का मामला भी स्थानीय थाना शहपुरा में दर्ज है। इन्हीं आरोपों के आधार पर शिकायतकर्ताओं का कहना है कि डॉक्टर परस्ते के पास वर्तमान में आए से अधिक संपत्ति होने की आशंका है, जिसकी लोकायुक्त अथवा ई ओ डब्लू जैसे स्वतंत्र जांच एजेंसी से जांच कराए जाने की आवश्यकता है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि स्वास्थ्य केंद्र की कार्यप्रणाली लगातार प्रभावित हो रही है, जिससे ग्रामीणों को स्वास्थ सेवाओं का उचित लाभ नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने शासन प्रशासन से मांगती है कि सभी शिकायतों की निष्पक्ष और उच्च स्तरीय जांच कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए और आवश्यक हो तो तत्काल निलंबित या सेवा से बर्खास्त की की कार्रवाई भी की जाए, ताकि जनता को पारदर्शी और सुचारू स्वास्थ्य सेवाएं मिल सके।

