डिंडोरी बेयर हाउस ओव्हर लोडिंग मामले में लगातार खबरें प्रकाशित होने के बाद भी कार्यवाही न होना, विभाग के बड़े अधिकारियों की सहमति बताता है। ओवरलोडिंग के इस खेल की आड़ में अधिकारियों का चाँदी काटने से इनकार नही किया जा सकता ? शासन ने 35 रुपये से 65 रुपय प्रति क्विंटल कर दिया कि वाहन मालिक को घाटा न हो फिर ओव्हर लोडिंग से फायदा कौन उठा रहा है ? नियम विरुद्ध तरीके से माल परिवहन करने की सहमति कौन और किसी लालच में दे रहा है ? वैसे भी जिम्मेदारों ने मीडिया को जानकारी देने से यह कहकर एतराज जताया है कि कलेक्टर साहब से आदेश लेकर आओ फिर हम जानकारी देंगे निगवानी गोदाम से जानकारी लेने पर वहां पर उपस्थित कर्मचारियों ने कहा कि आपके थाने के सामने वाले गोदाम से जानकारी मिलेगी और जब वहां से जानकारी चाही गई तो उन्होंने निगरानी गोदाम प्रभारी से जानकारी लेने की बात कही। सूत्रों से प्राप्त ताजा जानकारी के अनुसार अन्न दूत गाड़ियों के अलावा बड़ी गाड़ियों में भी 15 मेट्रिक टन माल के स्थान पर 30 से 35 मेट्रिक टन माल परिवहन किए जाने की जानकारी प्राप्त हुई है।
आखिर ओवरलोड परिवहन करने पर जो गाड़ियां 3 साल चलने वाली थी वह गाड़ियां साल
भर में ही खराब हो जाएगी दूसरी बात ओवरलोडिंग परिवहन करते समय यदि किसी प्रकार की
कोई दुर्घटना होती है तो जिम्मेदार कौन होगा ओवरलोडिंग माल परिवहन करने वाले या तो
इस बात से बेखबर है या फिर जानबूझकर लालच में जान जोखिम में डालकर काम कर रहे हैं जिम्मेदारों
द्वारा गोल-गोल जवाब देने का सीधा मतलब है कि दाल में काला है