आई विटनेस न्यूज 24, शुक्रवार 26 अप्रैल,आज अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद डिंडोरी इकाई की छात्रा कार्यकर्ताओं द्वारा SFS (Students For Seva) गतिविधि के माध्यम से “ऋतुमति अभियान” के अन्तर्गत वनवासी बस्ती वार्ड नं 1 में महिलाओं एवं बहनों के मध्य सैनिटरी नैपकिन का वितरण करते हुए माहवारी स्वास्थ्य संबंधी विषय में जानकारी दी जिसमें मुख्य रूप से सरस्वती विद्यालय डिंडोरी की अध्यक्ष श्रीमती सपना जैन उपस्थित रही।सपना जैन ने बताया कि
महिलाओं में कई कारणों से मासिक धर्म संबंधी समस्याएँ उत्पन्न हो जाती है उन्हीं में से एक समस्या है मासिक स्राव या पीरियड्स का अल्प मात्रा में होना। मासिक धर्म होने के दौराम कम रक्तस्राव या ब्लीडिंग होने के कई कारण हो सकते है जैसे, खान-पान में पोषक तत्वों की कमी होना, अनुचित जीवनशैली या अधिक तनावयुक्त जीवन-यापन करना। मासिक धर्म में आई गड़बड़ी के कारण महिलाओं में बहुत सारी समस्याएँ होने लगती हैं, जैसे- प्रजनन क्षमता का घटना या गर्भवती होने में समस्या, वजन बढ़ना, अण्डाशय में ग्रंथियों का बनना, भूख न लगना, चेहरे पर बाल निकलना इस तरह हार्मोनल असंतुलन के यह सारे लक्षण इस समस्या में पाए जाते है।
मासिक धर्म की ऐंठन पेट के सबसे निचले हिस्से (पेल्विस) में होने वाले दर्द हैं, जो मासिक धर्म की अवधि से कुछ दिन पहले, उसके दौरान या बाद में होते हैं। मासिक धर्म शुरू होने के 24 घंटों के बाद दर्द सबसे तीव्र होता है और 2 से 3 दिनों के बाद कम हो जाता है। दर्द में अक्सर ऐंठन या हल्का और लगातार दर्द होता है, लेकिन यह तेज़ या बढ़ता हुआ हो सकता है और आ-जा सकता है। यह कभी-कभी पीठ के निचले हिस्से और टांगों तक फैल जाता है।
कई महिलाओं को सिरदर्द, जी मिचलाना (कभी-कभी उल्टी के साथ), और कब्ज़ या दस्त जैसी समस्याएं भी होती हैं। उन्हें बार-बार पेशाब करने की ज़रूरत पड़ सकती है।
दर्दनाक मासिक धर्म वाली कुछ महिलाओं में माहवारी से पहले के सिंड्रोम के लक्षण भी होते हैं (जैसे कि चिड़चिड़ापन, घबराहट, निराशा, थकान और पेट फूलना)। ये लक्षण माहवारी अवधि के दौरान कुछ समय या पूरे समय तक बने रह सकते हैं।
कभी-कभी मासिक धर्म के रक्त में थक्के होते हैं। थक्के, जो चमकदार लाल या गहरे दिखाई दे सकते हैं, में गर्भाशय की परत से टिशू और तरल पदार्थ, साथ ही रक्त भी हो सकता है।
लक्षण अधिक गंभीर होते हैं अगर
मासिक धर्म की शुरुआत कम उम्र में हुई।
मासिक धर्म लंबे या ज़्यादा होते हैं।
महिलाएं धूम्रपान करती हैं।
परिवार के सदस्यों को डिस्मेनोरिया भी होता है।
ये लक्षण महिलाओं की पहली गर्भावस्था के बाद और उनकी उम्र बढ़ने के साथ-साथ कम होते जाते हैं।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से सरस्वती विद्यालय अध्यक्ष श्रीमती सपना जैन जी,एबीवीपी के जिला संग़ठन मंत्री अमन अठनेरिया,महाविद्यालय उपाध्यक्ष दामिनी वनवासी, महाविद्यालय छात्रा प्रमुख मुस्कान कछवाहा,कार्यकारिणी सदस्य अल्फिया परवीन ,महाविद्यालय सह मंत्री निहारिका तिवारी,नगर विद्यालय प्रमुख दीपक बर्मन उपस्थित रहे।।