आई विटनेस न्यूज 24, शुक्रवार 4 जुलाई,एक ओर केंद्र सरकार "सबके लिए आवास" का सपना साकार करने की बात कर रही है, वहीं दूसरी ओर डिंडौरी जिले के शहपुरा विकासखंड अंतर्गत ग्राम पड़रिया खुर्द का एक गरीब परिवार आज भी आवास योजना के लाभ से वंचित है। रैदास समाज से संबंध रखने वाला धरमू लाल रैदास का परिवार बीते दस वर्षों से मिट्टी की झोपड़ी में रहने को मजबूर है। बरसात के दिनों में इनकी झोपड़ी टपकने लगती है, दीवारों में दरारें आ चुकी हैं और कभी भी मकान गिरने का खतरा बना रहता है।
धरमू लाल ने बताया कि उन्होंने कई बार पंचायत के सरपंच और सचिव से पक्के मकान की गुहार लगाई, लेकिन हर बार उन्हें केवल आश्वासन ही मिला। उनका कहना है कि ग्राम पंचायत मरवारी में कई ऐसे लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दे दिया गया है जिनके पास पहले से ही पक्के मकान हैं, जबकि वास्तव में जरूरतमंद परिवार आज भी झोपड़ी में जिंदगी बसर कर रहा है।
परिवार की आर्थिक स्थिति भी बेहद खराब है। न रहने के लिए सुरक्षित मकान है, न खाने के लिए पर्याप्त भोजन। बरसात के दिनों में स्थिति और भी भयावह हो जाती है। दीवारों से पानी टपकता है, छत से बूंदें गिरती हैं और पूरा परिवार रातभर जागकर किसी अनहोनी की आशंका में रहता है।
इस पूरे मामले में सवाल उठता है कि आखिर पात्र होते हुए भी इस गरीब परिवार को अब तक प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ क्यों नहीं मिल पाया? क्या योजनाओं का लाभ सिर्फ रसूखदारों तक सीमित रह गया है?
स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को इस मामले की गंभीरता से जांच कर वास्तविक पात्रों को प्राथमिकता के आधार पर लाभ देना चाहिए, ताकि "हर गरीब को मकान" देने का सपना केवल कागजों तक ही सीमित न रह जाए।