आई विटनेस न्यूज 24, सोमवार 7 जुलाई,सिविल सप्लाई कार्पोरेशन लिमिटेड डिंडोरी के पूर्व जिला प्रबंधक अशोक राजपूत का "कुर्सी मोह" उस समय कैमरे में कैद हो गया, जब वे स्थानांतरण आदेश और पद से मुक्त किए जाने के बावजूद कार्यालय में बैठकर फाइलों का निपटारा कर रहे थे। यह वाकया सोमवार सुबह ठीक 11:13 बजे का बताया जा रहा है, जब मीडिया के कैमरे में वे जिला प्रबंधक की कुर्सी पर विराजमान पाए गए।
गौरतलब है कि राज्य शासन द्वारा अशोक राजपूत का स्थानांतरण लगभग एक सप्ताह पूर्व अशोकनगर जिले के लिए कर दिया गया था। कलेक्टर डिंडोरी ने 4 जुलाई 2025 को उन्हें पद से मुक्त कर एसडीएम डिंडोरी को अस्थायी प्रभार सौंपने के आदेश भी जारी कर दिए थे। इसके बावजूद अशोक राजपूत का जिला प्रबंधक के कक्ष में बैठना न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि यह प्रशासनिक आदेशों की अवहेलना भी है।
हैरत की बात यह भी है कि पूर्व जिला प्रबंधक न सिर्फ कार्यभार संभाले बैठे थे, बल्कि वे सरकारी वाहन का भी उपयोग कर रहे थे। जब मीडिया ने इस मामले में उनसे सवाल किए, तो उन्होंने गोलमोल जवाब देते हुए कुर्सी बदलकर सामने की कुर्सी पर बैठने का प्रयास किया।
ओवरलोडिंग पर अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध?
इसी बीच एक और बड़ा सवाल खड़ा हो गया है — क्या जिले में विगत दिनों अन्नदूतों के जरिए हो रही खाद्यान्न की ओवरलोडिंग में भी अधिकारी संलिप्त हैं? जब एक जिम्मेदार अधिकारी से दूरभाष पर इस संबंध में बात की गई, तो उन्होंने कथित रूप से कहा, “ऊपर से साहब आए थे, उन्होंने कहा 181 (शिकायत) बंद करवा दो और जैसा चल रहा है, चलने दो, बाकी हम देख लेंगे।” यह बयान संदेह की गहरी परतें खोलता है।
शासन की गाइडलाइन के अनुसार सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) में पारदर्शिता और सुरक्षा के लिए अन्नदूतों की ओवरलोडिंग पर स्पष्ट प्रतिबंध है, लेकिन यदि उच्च अधिकारियों की शह पर नियम तोड़े जा रहे हैं, तो यह गंभीर प्रशासनिक लापरवाही मानी जाएगी।
अब देखना यह होगा कि शासन-प्रशासन इस पूरे मामले को कितनी गंभीरता से लेता है और क्या दोषियों पर कार्रवाई होती है या यह मामला भी प्रशासनिक फाइलों में दबा दिया जाएगा।
यह खबर प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है और दर्शाती है कि जब आदेशों की खुलेआम अवहेलना होती है, तो व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही की कितनी जरूरत है।