नगर परिषद डिंडोरी की नल-जल योजना बन गई शहरवासियों के लिए सिरदर्द
आई विटनेस न्यूज 24, रविवार 2 नवंबर, नगर परिषद डिंडोरी की लापरवाही अब आमजन के धैर्य की सीमा लांघ चुकी है। वार्ड नंबर 2 सुबखार के नागरिक जितेंद्र पांडे और आसपास के लोगों ने बताया कि महीनों से नलों में जो पानी सप्लाई हो रहा है, वह पीने तो दूर, छूने लायक भी नहीं रह गया। रविवार को मिले पानी ने तो हद कर दी—गंदा, मटमैला पानी टंकी से सीधा घरों तक पहुचाया गया। अब सवाल उठता है कि आखिर नगर परिषद क्या कर रही है? मुख्य बस्ती क्षेत्र के लोग दिनभर बस नलों में पानी आने का इंतजार करते रहते हैं। कभी दिन में, कभी रात को—किसी तरह की कोई तय समय-सारणी नहीं है। लगता है कि जिम्मेदार अधिकारी मान बैठे हैं कि पूरा डिंडोरी बेरोज़गार होकर नल के नीचे बैठा है। लेकिन जब हर महीने टैक्स समय पर वसूला जाता है, तो फिर सेवा में ऐसा भेदभाव क्यों? विडंबना यह है कि नर्मदा नदी नगर के बीच से गुजरती है, लेकिन नगर वासियों के घर तक स्वच्छ पानी नहीं पहुँचता। कभी पानी में फिटकरी की अत्यधिक मात्रा मिलाई जाती है तो कभी बिना फिल्टर का गंदा पानी खुलेआम सप्लाई कर दिया जाता है। ऐसा लगता है कि स्वच्छ पेयजल योजना कागज़ी बयानो तक ही सिमटकर रह गई है।
जब अन्य शहरों की नगरीय निकाय बॉडी प्रतिदिन दो बार पानी उपलब्ध कराती हैं, तब डिंडोरी में 24 घंटे में एक बार ही पानी मिलना किसे राहत कहें? नागरिकों का तर्क है—टैक्स हम उतना ही चुकाते हैं जितना दूसरे शहरों के लोग, फिर हमें आधी सुविधाएँ क्यों? सवाल उठता है कि क्या नगर परिषद जवाबदेही से मुक्त है?
“हमारे घरों में जो पानी आ रहा है, वह पीने योग्य नहीं है। “यह पानी जिंदगी देने के बजाय बीमारी दे रहा है। अधिकारी अपनी कुर्सियों से चिपके बैठे हैं, जबकि जनता नल के नीचे बाल्टी टाँगे आसमान देख रही है।”
— जितेंद्र पांडे, निवासी वार्ड नंबर 2, सुबखार

