भारी वोटों से जीते यश घंघोरिया
यश घंघोरिया ने करीब 3 लाख वोट हासिल कर अपने प्रतिद्वंदी अभिषेक परमार को मात दी, जिन्हें लगभग 2 लाख वोट मिले। चुनाव में कुल 19 उम्मीदवार मैदान में थे। प्रदेश के 52 जिलों से युवक कांग्रेस के प्रतिनिधियों ने ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से मतदान किया था।
इन चुनावों की प्रक्रिया अखिल भारतीय युवक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीनिवास बी.वी. की देखरेख में पूरी की गई।
कांग्रेस के भीतर युवाओं में उत्साह
यश घंघोरिया की जीत से कांग्रेस के युवा कार्यकर्ताओं में नया जोश देखा जा रहा है। उनके समर्थकों ने भोपाल और जबलपुर में ढोल-नगाड़ों के साथ जीत का जश्न मनाया।
यश ने अपनी जीत पर कहा —
“यह जीत कांग्रेस के हर युवा कार्यकर्ता की है। हम संगठन को बूथ स्तर तक मजबूत करेंगे और युवाओं के मुद्दों को सरकार के सामने मजबूती से रखेंगे।”
भाजपा ने उठाए वंशवाद पर सवाल
दूसरी ओर, विपक्षी भाजपा ने इस चुनाव पर वंशवाद (डायनेस्टिक पॉलिटिक्स) का आरोप लगाया है।
भाजपा प्रवक्ता आशीष अग्रवाल ने कहा —
“कांग्रेस में मेहनत नहीं, परिवार का नाम मायने रखता है। युवक कांग्रेस में भी वही चेहरे आगे बढ़ाए जा रहे हैं जो नेताओं के बेटे हैं।”
कांग्रेस ने इस आरोप को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि चुनाव पूरी तरह लोकतांत्रिक प्रक्रिया से हुए हैं और नतीजे युवाओं की पसंद को दर्शाते हैं।
कौन हैं यश घंघोरिया?
यश घंघोरिया जबलपुर के रहने वाले हैं और उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातक किया है। राजनीति की पृष्ठभूमि वाले परिवार से होने के बावजूद वे छात्र राजनीति से सक्रिय रहे हैं और पिछले कई वर्षों से युवक कांग्रेस के संगठनात्मक कार्यों में भाग ले रहे हैं।
उन्होंने कई जिलों में “युवा जागृति अभियान” और “रोजगार संवाद कार्यक्रम” जैसे अभियान भी चलाए हैं।
भविष्य की राह
अब यश के सामने सबसे बड़ी चुनौती प्रदेश में युवक कांग्रेस को पुनर्गठित कर 2028 के विधानसभा चुनावों के लिए युवा आधार को मजबूत करना होगा।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यश की नियुक्ति से कांग्रेस युवाओं में नई ऊर्जा भरना चाहती है, ताकि संगठन को जमीनी स्तर पर सक्रिय बनाया जा सके।
निष्कर्ष
यश घंघोरिया की ताजपोशी से कांग्रेस ने स्पष्ट संकेत दे दिया है कि पार्टी अब युवा नेतृत्व को आगे लाने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। हालांकि भाजपा के वंशवाद के आरोप आने वाले समय में इस राजनीतिक समीकरण को और दिलचस्प बना सकते हैं।
