आई विटनेस न्यूज 24, गुरुवार 18 दिसम्बर, जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर के अंतर्गत कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके), डिंडोरी द्वारा रावे (RAWE) कार्यक्रम के विद्यार्थियों के लिए कृषि क्षेत्र में “वेस्ट टू वेल्थ (अपशिष्ट से संपदा)” विषय पर एक विस्तृत प्रशिक्षण एवं मार्गदर्शन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम डॉ. पी. एल. अंबुलकर, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख के कुशल मार्गदर्शन में संपन्न हुआ। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य रावे विद्यार्थियों को अपने-अपने दत्तक गांवों में वेस्ट टू वेल्थ आधारित गतिविधियों को शीघ्रता से लागू करने हेतु सक्षम बनाना था, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में टिकाऊ कृषि, स्वच्छता एवं पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिल सके।
कार्यक्रम के शुभारंभ अवसर पर डॉ. पी. एल. अंबुलकर ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि कृषि एवं पशुपालन से उत्पन्न अपशिष्ट जैसे फसल अवशेष, गोबर, कृषि खरपतवार, सब्जी एवं फल अपशिष्ट यदि सही ढंग से प्रबंधित किए जाएं तो वे किसानों के लिए आय का अतिरिक्त स्रोत बन सकते हैं। उन्होंने वेस्ट टू वेल्थ की अवधारणा को आत्मनिर्भर एवं पर्यावरण अनुकूल कृषि की दिशा में एक प्रभावी कदम बताया।
कार्यक्रम की नोडल अधिकारी डॉ. रेणु पाठक ।ने रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग से होने वाले दुष्प्रभावों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि रासायनिक कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग से मृदा की संरचना, लाभकारी सूक्ष्मजीव तथा मानव स्वास्थ्य प्रभावित होते हैं। इसके विकल्प के रूप में उन्होंने कम्पोस्ट, वर्मी कम्पोस्ट, जीवामृत, घनजीवामृत, नीम आधारित जैव-कीटनाशक एवं जैव उर्वरकों के उपयोग पर जोर दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि इन प्राकृतिक इनपुट्स के प्रयोग से मृदा की जैविक कार्बन मात्रा, जल धारण क्षमता एवं पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ती है, जिससे दीर्घकाल में फसल उत्पादकता में सुधार होता है।
डॉ. गीता सिंह, रावे प्रभारी, ने रावे कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि रावे विद्यार्थी विश्वविद्यालय और किसानों के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं। उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे अपने दत्तक गांवों में जाकर किसानों को वेस्ट टू वेल्थ मॉडल, स्वच्छता, अपशिष्ट प्रबंधन तथा प्राकृतिक खेती के लाभों को व्यवहारिक रूप में समझाएं।
कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ. अवधेश पटेल एवं डॉ. श्वेता मशराम का सराहनीय योगदान रहा। उन्होंने तकनीकी सत्रों के संचालन, व्यावहारिक उदाहरणों एवं समन्वय कार्यों में सक्रिय भूमिका निभाई। प्रशिक्षण के दौरान विद्यार्थियों को गांव स्तर पर उपलब्ध संसाधनों के उपयोग से कम लागत वाली, पर्यावरण अनुकूल एवं लाभकारी कृषि पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रेरित किया गया।
कार्यक्रम में रावे विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भागीदारी की तथा प्रश्नोत्तर सत्र के माध्यम से अपनी जिज्ञासाओं का समाधान किया। अंत में विद्यार्थियों ने संकल्प लिया कि वे अपने दत्तक गांवों में वेस्ट टू वेल्थ आधारित गतिविधियों को अपनाकर रासायन-मुक्त, स्वस्थ एवं टिकाऊ कृषि प्रणाली के प्रसार में सक्रिय भूमिका निभाएंगे।

