स्कूलों में शिक्षकों की कमी को लेकर शिक्षा विभाग ग्राम के लोग व जनप्रतिनिधि, पालक शिक्षक संघ कभी गंभीर नहीं दिखे। शिक्षकों की कमी से जूझते स्कूलों में कैसे शिक्षा की गुणवत्ता आएगी।
राजेश ठाकुर की रिपोर्ट
आई विटनेस न्यूज 24, मंगलवार 22 फरवरीडिण्डौरी ब्लॉक के बिछिया का शासकीय प्राथमिक शाला स्कूल केवल एक ही शिक्षक के भरोसे चल रहा है शिक्षक की कमी के चलते स्कूल में बच्चों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ग्राम बिछिया के प्राथमिक विद्यालय में एक वर्ष से एक से पांच तक कक्षा के लगभग 100 बच्चों की पढ़ाई के लिए मात्र एक ही शिक्षक है। पदस्थ शिक्षक को किसी सर्वे या पोर्टल पर जानकारी दर्ज करवाने जाना पड़ता है तो स्कूल में ताला लग जाता है। प्रदेश सरकार गांवों स्कूलों भवनों के निर्माण व अन्य गतिविधियों के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है लेकिन शिक्षकों की व्यवस्था नहीं की जा रही है जिससे सरकारी स्कूलों की शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार नहीं हो रहा है। लिहाजा जिले की प्राथमिक माध्यमिक से लेकर हाईस्कूल हायर सेकेंडरी स्कूलों में एक शिक्षक के भरोसे सैकड़ों बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी है। इसके अलावा समय समय पर शिक्षकों पर निर्वाचन और अन्य प्रशासनिक कार्यों का बोझ डाला जाता है। ऐसे में शिक्षक स्कूलों में पहुंचने की बजाय दूसरे कामों में उलझे रहते हैं और स्कूलों का स्तर गिरता जा रहा है। जिस पर शिक्षा विभाग का ध्यान नहीं है। प्राथमिक शाला जहां छात्र की भविष्य की नींव रखी जाती है वहां पढ़ाने के लिए सिर्फ एक ही शिक्षक है ऐसे में सवाल यह उठता है कि एक ही शिक्षक एक समय पर पहली से लेकर पांचवी तक के बच्चों को एक साथ शिक्षा कैसे दे सकता है ऐसे में यह स्थिति प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलने के लिए काफी है।
