राजेश ठाकुर की रिपोर्ट
आई विटनेस न्यूज 24, मंगलवार 29 जुलाई,वैसे तो सरकार आम जनता के समस्याओं को दूर करने और आम आदमी की सुविधाओं के लिए निरंतर विभिन्न प्रकार के प्रयासों में लगातार प्रयत्न शील है। पर सरकार की मंशा पर उनके ही कुछ सरकारी नुमांईदे पलीता लगाने और बदनाम करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। बात अगर ग्रामीण आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र की हो तो कहना ही क्या? ऐसा ही हाल जिला मुख्यालय से महज 30/32किलोमीटर दूर अझवार क्षेत्र का है। यहाँ विभिन्न विभागों के कुछ सरकारी कर्मचारी अपनी मनमर्जी,मनमानी और लापरवाही करने से बाज नहीं आ रहे हैं। शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग सहित अन्य अति आवश्यक सेवाओं के कुछ कर्मचारी मनमाना रवैया अपनाए हुए हैं। इन्हें किसी परवाह ही नहीं है आम आदमी की बात ही क्या है। एक तो उच्चाधिकारीयों के आदेश के बाद भी इन्हें ग्रामीण क्षेत्रों में मुख्यालय बना कर रहना पसंद नहीं है। सब सुविधा सम्पन्न कस्बों में निवास करते हैं। अपडाऊन अपने मन मुताबिक दिन और समय पर करते हैं। देर से आना और जल्दी जाना जैसे इनका जन्म सिद्ध अधिकार हो। जिससे आम जनता को शासकीय सेवाओं का लाभ बहुत ही सीमित मिल पाता है। सामान्य प्रशासन विभाग का आदेश कुछ भी हो इनको जरा भी फर्क नहीं पड़ता ना ही उससे कोई लेना देना है। सार्थक एप भी इनके लिए निर्रथक ही साबित हो रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में उच्चाधिकारी भी मानीटरिंग नहीं करते सिर्फ मोबाइल पर डाटा देख कर तसल्ली कर लेते हैं। पर जमीनी हकीकत कुछ और ही है। शायद इस लिए भी इनके हौसले बुलंद रहते हैं। क्षेत्र के आम जनता की मांग है कि संबधित उच्चाधिकारीयों और जनप्रतिनिधियों को सघन औचक निरीक्षण कर लापरवाह शासकीय सेवकों पर कड़ी कार्यवाही करें। जिससे आम आदमी को राहत मिल सके और सरकारी सेवाओं का समुचित लाभ मिल सके।