आई विटनेस न्यूज 24, गुरुवार 4 सितम्बर,आदिवासी बहुल जिला डिंडोरी में शासन के नियमों की खुलेआम अनदेखी हो रही है। ग्राम पंचायत अजवार से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां तत्कालीन पंचायत सचिव जगदीश धुर्वे और सीनियर बालक छात्रावास अझवार के अधीक्षक अमर सिंह मरावी ने मिलकर शासन की आंखों में धूल झोंकने का काम किया है।शासन की स्पष्ट गाइडलाइन के अनुसार, 26 जनवरी 2001 के बाद नियुक्त किसी भी शासकीय कर्मचारी के दो से अधिक जीवित संतान नहीं होनी चाहिए। यदि किसी भी कर्मचारी के तीन या उससे अधिक संतान पाई जाती है, तो उसे नौकरी से तत्काल बर्खास्त किया जाना अनिवार्य है। लेकिन अजवार में पदस्थ अधीक्षक अमर सिंह मरावी इस नियम का खुलेआम उल्लंघन कर रहे हैं।
तीन संतान होने के बावजूद नौकरी पर कायम!
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, अधीक्षक अमर सिंह मरावी के तीन जीवित संतान हैं। बावजूद इसके वे आज भी छात्रावास अधीक्षक के पद पर बने हुए हैं। सामान्य परिस्थितियों में यह बात उनके सेवा नियमों का स्पष्ट उल्लंघन साबित होती और तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए थी। लेकिन यहां ऐसा नहीं हुआ।इस पूरे प्रकरण में पंचायत सचिव जगदीश धुर्वे की बड़ी भूमिका रही है। बताया जाता है कि सचिव ने अधीक्षक की समग्र आईडी (35071338) में जानबूझकर हेरफेर कर दी, ताकि उनकी वास्तविक संतान संख्या दर्ज ही न हो सके और शासन को धोखे में रखा जा सके। वहीं हॉस्टल अधीक्षक अमर सिंह मरावी के पिता दद्दू सिंह मरावी की समग्र आईडी (35068527) में अमर सिंह मरावी के पुत्र को उनकी आईडी में जोड़ दिया गया है मजे की बात यह है कि इसमें उनके पिता/अमर सिंह मरावी न लिख कर पिता की जगह उनके दादा दद्दू सिंह मरावी को पिता कर वेरिफाई कर दिया गया है जिससे साफ जाहिर होता है कि अज़्हवार सचिव जगदीश सिंह द्वारा खेल किया गया है !
गाइडलाइन सिर्फ़ कागज़ों तक सीमित?
सरकार ने परिवार नियोजन और अनुशासन कायम रखने के लिए यह नियम बनाया था कि सरकारी नौकरी में रहते हुए कोई भी अधिकारी/कर्मचारी 26 जनवरी 2001 के बाद दो से अधिक जीवित संतान पैदा करेगा तो उसकी नौकरी समाप्त की जाएगी।लेकिन अजवार पंचायत का यह मामला दिखाता है कि गाइडलाइन केवल कागज़ों तक सीमित रह गई है।ऐसे मामले केवल अजवार तक सीमित नहीं हैं, बल्कि जिले के कई हिस्सों में नियमों की अनदेखी हो रही है। शासन के अधिकारी इस ओर आंखें मूंदे हुए बैठे हैं और भ्रष्टाचारियों को संरक्षण मिल रहा है।
भ्रष्टाचार का जाल और मिलीभगत
ग्राम पंचायत सचिव और छात्रावास अधीक्षक अमर सिंह मरावी की मिलीभगत इस बात को साफ़ करती है कि नियमों की धज्जियां उड़ाने के लिए जिम्मेदार लोग खुद सिस्टम का हिस्सा हैं। सचिव ने न केवल शासन की गाइडलाइन का उल्लंघन किया, बल्कि दस्तावेज़ों में गड़बड़ी कर नियम को बेअसर बना दिया।
यह गंभीर सवाल खड़ा करता है कि—
यदि सचिव स्तर का कर्मचारी ही नियमों से खिलवाड़ करेगा, तो आम जनता से नियम पालन की उम्मीद कैसे की जा सकती है?शासन की योजनाओं और नियमों का असली लाभ आखिर किसे मिलेगा—ईमानदार कर्मचारी को या फिर ऐसे लोगों को जो हेरफेर और भ्रष्टाचार में माहिर हैं?
बड़े स्तर पर खुलासा होने की संभावना
इस पूरे मामले ने डिंडोरी जिले में हलचल मचा दी है। यदि उच्चस्तरीय जांच कराई जाए तो और भी बड़े-बड़े खुलासे हो सकते हैं। आशंका जताई जा रही है कि ऐसे कई अधिकारी/कर्मचारी हैं जिनके तीन या उससे अधिक संतान हैं, लेकिन वे सचिवों और अन्य कर्मचारियों की मदद से समग्र आईडी में हेरफेर कर अपनी नौकरी बचाए बैठे हैं।
प्रशासन कब लेगा संज्ञान?
अब देखना यह होगा कि डिंडोरी जिला प्रशासन इस गंभीर मुद्दे पर कब संज्ञान लेता है।क्या पंचायत सचिव जगदीश धुर्वे और अधीक्षक अमर सिंह मरावी पर कोई कार्रवाई होगी?या फिर यह मामला भी फाइलों और बैठकों तक सीमित रह जाएगा?डिंडोरी जिले का यह मामला शासन और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है। जब नियम बनाने वाले और लागू करने वाले ही कानून तोड़ेंगे, तो व्यवस्था में सुधार कैसे होगा?जिलेभर में ऐसे सभी कर्मचारियों की जांच हो, जिन्होंने शासन की गाइडलाइन की धज्जियां उड़ाकर नौकरी बचाई हुई है।
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